इस तस्वीर को देखिये. पिछले कुछ दिनों से इस तस्वीर पर जब भी नज़र पड़ती है तो रोम-रोम सिहर उठता है. मैं अक्सर न्यूज़ चैनलों से चिपके रहने वाला इंसान हूँ, परन्तु इस 'महान शहादत' से सम्बंधित कोई भी खबर देखने की हिम्मत नही जुटा पाया. इसका कारन यह रहा कि संपूर्ण धरित्री के अतुल श्रृंगार 'भारतवर्ष' की पावन मिट्टी के 'कण-कण' का रक्षक परमवीर हुतात्मा लेफ्टीनेंट कर्नल निरंजन के डेढ़ वर्ष की बेटी विस्मया के नासमझ मगर करुण चित्कार, अपने प्रियजनों के अनंत आकाश के सन्नाटे को चीरने वाली आर्तनाद की वो तीखी ध्वनियाँ मेरे कलेजे को अन्दर तक बेध रही थी. निस्संदेह, असंख्य देशप्रेमियों के साथ-साथ मेरे लिए भी यह एक असहनीय क्षण था जिसके कारन मैं शुतुरमुर्ग की भांति सच से साक्षात्कार करने की स्थिति में नही था. यह तस्वीर पठानकोट हमले में शहीद हुए लेफ्टीनेंट कर्नल निरंजन, उनकी डेढ़ वर्ष की बेटी विस्मया एवं पत्नी राधिका की है. इस चित्र में वीरगति प्राप्त शहीद लेफ्टीनेंट कर्नल निरंजन का चेहरा उनके पत्नी राधिका एवं बेटी विस्मया के केंद्र में स्थित है, शायद इसलिए कि वह दोनों के जीवन के केंद्रबिंदु थे. परन्तु, आज वह केंद्रबिंदु इन दोनों के जीवन से प्रस्थान कर चूका है. आज राधिका और विस्मया 'केन्द्रविहीन' हो चुकी हैं. परन्तु, इनके केंद्रविहीन होने के 'केंद्र' में कौन है, इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार किये जाने की आवश्यकता है.
वर्तमान में इतिहास का प्रतिबिम्ब होता है और साथ ही भविष्य का दर्पण भी. क्या मोदी जी कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि को भूल गए थे या जानबूझकर उन्होंने इसे नज़रंदाज़ किया ?? क्या वह यह भूल गए थे कि जब-जब हमने स्वयं पहल कर सीमापार से रिश्तों में मिठास लाने की कोशिश की है तब-तब हमें बदले में इसी तरह का रक्तपात भेंट किया गया है जैसा पठानकोट में हुआ ?? ऐसी क्या नौबत आ गयी थी कि भारत के बाद उन्हें पाकिस्तान में भी 'चाय पर चर्चा' करने की अविलंब जरुरत जान पड़ी ?? भारत लौटने के बाद यहाँ के सरकारी एजेंसियों के द्वारा यह सुचना फैलायी गयी की नवाज शरीफ ने नरेन्द्र मोदी को फोन कर उन्हें यह कहते हुए आमंत्रित किया था कि चूँकि आप पाकिस्तान के ऊपर से होते हुए नयी दिल्ली जायेंगे इसलिए कुछ देर के लिए यहाँ रुक जाएँ. यधपि, यह सुचना इसलिए विरोधात्मक प्रतीत होता है कि नवाज-मोदी के मुलाक़ात के तुरंत बाद नवाज के निवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के विदेश-सचिव एजाज अहमद चौधरी ने यह कहा कि नरेन्द्र मोदी ने स्वयं नवाज शरीफ को फोन कर पाकिस्तान में कुछ देर रुकने की इच्छा व्यक्त की थी. यदि इसमें सच्चाई है तो यह एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है कि आखिर भारतीय अधिकारीयों एवं सरकारी एजेंसियों ने इस सन्दर्भ में झूठ प्रचारित क्यों किया?? यधपि यथार्थ चाहे जो भी मगर प्रश्न यह उठता है कि पकिस्तान में आयोजित इस 'चाय पर चर्चा' का परिणाम आखिर क्या रहा?? परिणाम रहा हमारे सात वीर सपूतों का शव, कुछ अनमोल बचपनो का पिताविहीन हो जाना, कई माँ-बापों का पुत्रविहीन हो जाना और इन वीर सपूतों की पत्नियों का सदा के लिए श्रृंगारविहीन हो जाना. आज भारतीय सेना दिवस पर हमें अत्यंत ही गंभीरता से यह आत्मावलोकन करने की जरुरत है कि आखिर कब-तक हम दो-कौरी के जिहादी कीड़े-मकोरों के बदले हम अपने अमूल्य वीर जवानों के शवों को कंधे पर ढोते रहेंगे?? यह सिलसिला आखिर कब और कैसे रुकेगा ??
सबसे बड़ी विडम्बना की बात यह है कि चुनाव-पूर्व पाकिस्तान से एक के बदले दस सर लाने की डींगे हाकने वाले एवं अपने परन्तप व्यक्तित्व का दावा करने वाले वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री का पाक के 'नापाक' सरजमीं पर उतरने के लिए तो कार्यकर्म मात्र दो घंटे में ही तय हो जाता है लेकिन आतंकवादी हमले का शिकार हुए पठानकोट एयरफोर्स बेस पहुँचने में उन्हें हफ्ते भर का समय लग जाता है. उन्हें जवाब देना चाहिए कि आज 5 आंतकवादियों के बदले 7 वीर सपूतों का शव हमने अपनी कन्धों पर क्यों उठाया? क्या यही उनके लिए एक के बदले दस का फार्मूला था ? प्रश्न यह भी उत्पन्न होता है कि आपके सरकार में भी यदि पकिस्तान को करार जवाब देने का पौरुषत्व एवं सामर्थ्य नही था तो चुनाव-पूर्व आपने लगभग हर चुनावी सभा में इसका जिक्र ही क्यों किया, इसे मुद्दा क्यों बनाया?? क्या आपने और आपकी पार्टी ने राष्ट्रीय अस्मिता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भी राजनीति की ?? क्या आपका राष्ट्रवाद मात्र चुनाव-प्रचार और वोटबैंक की राजनीती तक सिमटा हुआ है?? तब तो इससे बड़ा देशद्रोह भी मेरे नज़रों में कोई नही हो सकता. खैर, आपके सपनो का राष्ट्रवाद तो उसी वक्त वसनविहीन हो गया था जब आपने खुलेआम पाकिस्तान समर्थित नारे लागने वाले एवं पाकिस्तान के झंडे फहराने वाले मसरत आलम के साथ सहानुभूति रखने वाले लोगों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनायीं. जिस राजनितिक पार्टी का उद्भव ही अनुच्छेद 370 हटाने की बाल-रट के साथ हुआ हो, आज उनके लोगों का इस मुद्दे पर पूर्णतः मौन साधे रखना , आपके स्वार्थपूर्ण राष्ट्रवाद के वसनविहीन हो जाने का दूसरा अप्रतिम उदहारण है. आपसे तो दस लाख गुना राष्ट्रवादी मैं मनमोहन सिंह को मानता हूँ जिन्होंने कम से कम 10 वर्षों तक पाक के उस "नापाक" धरती पर कदम तक नही रखा. आपने तो कहा था पाकिस्तान से एक के बदले सर लायेंगे परन्तु सर लाना तो दूर की बात आप तो बदले में 'नवाज के घर' घूम आये साहब. इससे पहले कि अमित शाह जी किसी दुसरे इंटरव्यू में यह रहस्योद्घाटन करें, मैं अभी ही यह पूछ लेना चाहता हूँ कि पाकिस्तान से एक के बदले दस 'सर' लाने वाली बात भी कहीं एक 'चुनावी जुमला' थी क्या ??
आपने स्वयं कहा था कि 'ये लव लेटर लिखना बंद करो, पाकिस्तान को उसी कि भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए.; यधपि विगत दो वर्षों में लगातार 150 से अधिक घुसपैठों और सीमा से आये जाबाज़ सैनिकों के सैकरों शवों के बावजूद पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब तो नही पिल पाया परन्तु साड़ी-शॉल के आदान प्रदान के रूप में एक नयी पहल की शुरुआत जरुर हुई. जहाँ तक 'लव लेटर' का सवाल है तो आपके नेतृत्व वाली सरकार में यह पता करना मुश्किल नही अमूनन नामुमकिन है कि 'लव लेटर' का आदान-प्रदान अभी भी जारी है अथवा नही क्योंकि आपकी सरकार ने 'सुचना का अधिकार कानून' का गला घोंटने में कोई कोर-कसर नही छोड़ी है. चौबीस घंटे पूर्व इंटेलिजेंस इनपुट मिलने के बावजूद भी गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह कहना कि इसी के कारन कोई बड़ी वारदात नही हुई है, शर्मनाक तो है ही साथ ही साथ यह भी इंगित करता है कि सुरक्षा के क्षेत्र में हम किस हद तक असुरक्षित हैं. मेरे समझ में, हो सकता है कि आपका शेष वादों पर पलटना जनता माफ़ भी कर दे परन्तु राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता के मुद्दों पर जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश का विपरीत परिणाम हो सकता है. वैसे भी 2014 यदि आपके उत्थान के वर्ष के रूप में याद किया जायेगा, तो 2015 आपके पतन के घोर शुरुआत के रूप में. सावधान हो जाइए, विकल्प की तलाश शुरू हो गयी है.
और अंत में, पठानकोट आतंकवादी हमले में वीरगती को प्राप्त हुए लेफ्टीनेंट कर्नल निरंजन सहित अन्य वीर सपूतों को निम्नांकित शब्दों में अश्रुपूरित नेत्रों संग भावभीनी श्रधांजलि कि................
"मरते हैं डरपोक घरों में, बांध गले रेशम की फीता,
समर यहाँ मुट्ठी भर मिट्टी जिसने चूमी वह जीता" (अज्ञात)
पूर्ण विश्वास है कि आपसब भारतीय जन-मानस के दिलों में सदा जीवित रहेंगे !!http://www.asianage.com/india/pm-modi-springs-pakistan-surprise-165
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