Saturday, 7 February 2015

विजय-रथ से पराजय-पथ



जनता का ‘आशीष’ जिसके साथ हो,
चट्टान सा मजबूत जहाँ ‘विश्वास’ हो,
पास जिसके ‘संजय’ की हो दिव्य-दृष्टि पूर्व से,
क्यों न उसे पूर्व से ही जीत का ‘आभास’ हो ??

जिसके पास ‘संतोष’ हो, जिसके पास ‘आनंद’ हो,
विनम्रता की प्रतिमूर्ति जिसके पास ‘योगेन्द्र’ हो,
जिसके पास ‘अरविन्द’ सी जुझने की शक्ति हो,
जिसके पास सिर्फ श्रम,निष्ठा,सत्य की अभिव्यक्ति हो,

कौन मूर्छित कर सकेगा, उसको अपने ‘वार’ से ,
जो अकेला ही जूझ गया पुरे ‘भारत सरकार’ से ??
खिल चूका कमल बहुत, इस बार अब वह नहीं खिलेगा,
हमारी सच्ची निष्ठा का परिणाम हमको अवश्य मिलेगा,
इस दिल्ली का ही नहीं उस दिल्ली का भी,
अब ‘राजसिंहासन’ जल्द हिलेगा......................2.


(इस कविता में ‘आप’ के समस्त प्रमुख नामों को समिल्लित किया गया है / )
                                     



ROHIT KUMAR,
School of Law,
KIIT University,
Bhubaneswar ( Odisha )

Tuesday, 3 February 2015

कीट-उपवन

                               

हम पुष्प-सुगन्धित कीट-उपवन के,
यह सौभाग्य हमारा है !
त्याग, समर्पण, प्रेम, स्नेह से,
सबने मिल हमें संवारा है !!
हम पुष्प सुगन्धित कीट उपवन के ......2

आज हमारा विश्व-पटल पर,
सम्मान है, गुणगान है !
हर ओर प्रशंसा के स्वर हैं ,
हर ओर हमारा नाम है !
है कौन विश्व में ऐसा जो,
हमारी उपलब्धियों से अनजान है – 2
इस मुकाम पर हम पहुचे हैं, पर
सब सहयोग तुम्हारा है !
हम पुष्प-सुगन्धित कीट-उपवन के......2

हम ही हैं, जो चढ़ अम्बर पर,
गीत विजय का गा रहे हैं !
ज्ञान-विज्ञानं में ही नहीं ,
खेलकूद में भी अव्वल आ रहे हैं !!
पूर्ण समर्पण संग कठिन श्रम से,
दुनिया को पास बुला रहे हैं !
है कौन क्षेत्र ऐसा जिसमे न हम,
परचम लहरा रहे हैं !! - 2
हम परचम लहरा रहे क्योंकि,
आप सबने हमें दुलारा है ,
हम पुष्प सुगन्धित कीट-उपवन के ......2

हम ही हैं जो निखिल विश्व को,
मानवता का पाठ पढ़ा रहे हैं !
समाज के सबसे निचले हिस्से को,
मुख्यधारा में ला रहे हैं !!
सेवा-भाव क्या चीज है,
जग को आइना दिखला रहे हैं !
शिक्षा है अंधों को दृष्टि ,
हम ये सन्देश फैला रहे हैं !! – 2
समानता सर के जैसा, समर्पित संरक्षक हमारा है !
मेरी समझ में सबसे बड़ा यही सौभाग्य हमारा है !! -2

                                    By :- ROHIT KUMAR.