जनता का ‘आशीष’ जिसके साथ हो,
चट्टान सा मजबूत जहाँ ‘विश्वास’ हो,
पास जिसके ‘संजय’ की हो दिव्य-दृष्टि पूर्व से,
क्यों न उसे पूर्व से ही जीत का ‘आभास’ हो ??
जिसके पास ‘संतोष’ हो, जिसके पास ‘आनंद’ हो,
विनम्रता की प्रतिमूर्ति जिसके पास ‘योगेन्द्र’ हो,
जिसके पास ‘अरविन्द’ सी जुझने की शक्ति हो,
जिसके पास सिर्फ श्रम,निष्ठा,सत्य की अभिव्यक्ति हो,
कौन मूर्छित कर सकेगा, उसको अपने ‘वार’ से ,
जो अकेला ही जूझ गया पुरे ‘भारत सरकार’ से ??
खिल चूका कमल बहुत, इस बार अब वह नहीं खिलेगा,
हमारी सच्ची निष्ठा का परिणाम हमको अवश्य मिलेगा,
इस दिल्ली का ही नहीं उस दिल्ली का भी,
अब ‘राजसिंहासन’ जल्द हिलेगा......................2.
(इस कविता में ‘आप’ के समस्त प्रमुख नामों को समिल्लित किया गया है / )
ROHIT KUMAR,
School of Law,
KIIT University,
Bhubaneswar ( Odisha )
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