Monday, 26 May 2014

शपथ

हो चूका आगाज़ अब,
देख रहा यह देश है,
तेरे शपथ की सत्यता को,
देखना अब शेष है,
आज माँ भारती की,
अंक में तुम जा बैठे हो,
जिस अंक की खातिर,
यह दिया गया जनादेश है,
उम्मीदों की धुंधली दृष्टि से,
अब नयन हमारे ताक रहे हैं,
भारत के कथित उज्ज्वल भविष्य में,
कल्पना की दृष्टि से झांक रहे है,
आशा है, इस आशा-निशि को,
चमकता हुआ सूरज मिलने का,
खिल चूका है कमल बहुत अब,
अब इन्तेजार है उस दीप जलने का ..............!
अब इन्तेजार है उस दीप जलने का ..............!!
( रोहित कुमार )
वन्दे मातरम !! वन्दे मातरम !

No comments:

Post a Comment