Thursday, 3 April 2014

" प्यार का पौधा "

                      
कितना रुलाओगे यार ,
तुम्हे हँसाना परेगा /
मेरे भींगे नयनों को आखिर ,
तुम्हे ही सुखाना परेगा/
         
कितना चुराओगे नज़र ,
यह जालिम जमाना है /
यहाँ हर मोर पे खरा ,
आशिक, मजनू , दीवाना है /

आखिर तुम्हे हंसकर नजर मिलाना परेगा ,
प्यासे नजरो कि प्यास तुम्हे ही बुझाना परेगा /

मत कर दोस्त तू देर ,
नयन से बूंद फिसलता है /
यद् जब भी आती तेरी ,
ह्रदय यह बहुत मचलता है /

कब तक छुपाओगे आखिर तुम्हे बताना पड़ेगा  ,
कह दी निगाहों से तो सामने भी जाताना पड़ेगा /

डगर तो सब कठिन होते ,
पर मंजिल उसी से मिलता है /
सूर्य के प्रखर धुप सह कर ही,
कमल बहुत सुन्दर खिलता है /

रोपा जब प्यार का पौधा तो उसे पटाना पड़ेगा  ,
अँधेरा है जीवन मेरा तुम्हे दीप जलाना  पड़ेगा /


  

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